Harsha Richhariya: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दौरान साधु-संतों और साध्वियों की मौजूदगी ने खासा आकर्षण बटोर रखा है। इसी बीच, एक युवती, जिसे लोग ‘सुंदर साध्वी’ और ‘वायरल साध्वी’ कहकर संबोधित कर रहे हैं, सोशल मीडिया पर छाई हुई है। यह युवती हैं हर्षा रिछारिया, जिनकी तस्वीरें और वीडियो वायरल होने के बाद से लगातार चर्चा में हैं।
पीत वस्त्र, रुद्राक्ष की माला, माथे पर तिलक और भक्ति में डूबी हर्षा को पहली नजर में साध्वी माना गया। कई खबरों और पोस्ट में उन्हें साध्वी बताया भी गया। हालांकि, जब उनकी पहचान सोशल मीडिया पर सामने आई, तो लोग हैरान रह गए। असल में, हर्षा कोई साध्वी नहीं, बल्कि एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर हैं।
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लोगों के बीच सच्चाई उजागर होने के बाद, खुद हर्षा ने इस मामले पर सफाई दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे कभी साध्वी होने का दावा नहीं करतीं और न ही उन्होंने ऐसा कोई प्रयास किया। महाकुंभ में उनकी उपस्थिति और भक्ति भाव से जुड़े पोस्ट केवल उनकी आध्यात्मिक रुचि का हिस्सा हैं।
हर्षा के इस बयान ने जहां उनकी छवि को साफ किया, वहीं यह घटना दिखाती है कि सोशल मीडिया पर वायरल चीजों के पीछे की सच्चाई जानना कितना जरूरी है।
तकदीर वही लेकर जाती है, जहां पहुंचना लिखा हो” – Harsha Richhariya का बेबाक जवाब
मशहूर ‘खूबसूरत साध्वी’ के नाम से चर्चित हर्षा रिछारिया ने एबीपी न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी खुद को साध्वी होने का दावा नहीं किया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा, “मैंने कभी नहीं कहा कि मैं बचपन से साध्वी हूं। सच कहूं तो, मैं अभी भी साध्वी नहीं हूं। मैंने सिर्फ मंत्र दीक्षा ली है और बार-बार यही बात कह रही हूं।”
हर्षा ने बताया कि उनका झुकाव सनातन संस्कृति और धर्म की ओर हुआ है। अपनी पृष्ठभूमि पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, “मैं एंकरिंग, एक्टिंग और मॉडलिंग के फील्ड से आई हूं। इसमें गलत क्या है?”
अपनी यात्रा को लेकर वे कहती हैं, “जिसकी तकदीर में जो लिखा होता है, वह लाख भटकने के बाद भी आखिरकार वहीं पहुंच जाता है।”
यह बयान उनकी सोच और जीवन की गहराई को उजागर करता है, जहां वे अपने अतीत से आगे बढ़ते हुए आध्यात्मिकता की ओर बढ़ने की कोशिश कर रही हैं।
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साध्वी” टैग सही नहीं: हर्षा रिछारिया ने दी सफाई
Harsha Richhariya ने अपनी पहचान को लेकर उठे भ्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मैं साध्वी नहीं हूं। मैं इस दिशा में बढ़ने का प्रयास कर रही हूं। लेकिन लोगों और सोशल मीडिया ने मुझे ‘साध्वी हर्षा’ का टैग दे दिया है, जो सही नहीं है।”
हर्षा ने स्पष्ट किया कि साध्वी बनना एक महान और गंभीर प्रक्रिया है। उन्होंने कहा, “साध्वी बनने के लिए गहन परंपराओं और संस्कारों का पालन करना पड़ता है। यह एक साधना का मार्ग है, जो मैंने अभी तक नहीं अपनाया है। मैंने केवल मंत्र दीक्षा ली है, जो किसी भी व्यक्ति द्वारा गृहस्थ जीवन में भी ली जा सकती है।”
उन्होंने आगे कहा, “साध्वी होना अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है, और मैं बार-बार यह स्पष्ट कर रही हूं कि मैंने इस दिशा में अभी सिर्फ शुरुआत की है।”
हर्षा का यह बयान उन लोगों के लिए एक स्पष्ट संदेश है, जिन्होंने उन्हें गलतफहमी के चलते यह उपाधि दी है।
हर्षा रिछारिया कौन हैं और उनकी गुरु कौन हैं?
हर्षा रिछारिया सोशल मीडिया पर एक पॉपुलर चेहरा हैं। अपने इंस्टाग्राम बायो में उन्होंने खुद को आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी श्री कैलाशानंदगिरी की शिष्या बताया है और वे निरंजनी अखाड़ा से जुड़ी हुई हैं। हर्षा एक सोशल एक्टिविस्ट और प्रभावशाली इन्फ्लुएंसर के रूप में भी अपनी पहचान रखती हैं।
उनके इंस्टाग्राम पर 1 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स हैं, और वह अपनी दिलचस्प पोस्ट्स के जरिए हमेशा सुर्खियों में बनी रहती हैं। इन दिनों हर्षा महाकुंभ के आयोजन में सक्रिय हैं और वहां से लगातार शानदार तस्वीरें और वीडियो शेयर कर रही हैं।
क्यों चुनी अध्यात्म की राह?
हर्षा रिछारिया (Harsha Richhariya) ने हाल ही में सोशल मीडिया पर महाकुंभ के पवित्र आयोजन में शामिल होने का अनुभव साझा किया, जिसे लेकर उन्होंने अपनी गहरी खुशी और आभार व्यक्त किया। उन्होंने लिखा,
“मैं खुद को बेहद सौभाग्यशाली मानती हूं कि महादेव और परम पूज्य गुरुदेव के आशीर्वाद से मुझे 144 सालों में होने वाले इस पूर्ण महाकुंभ का हिस्सा बनने का अवसर मिला। पहले शाही स्नान में डुबकी लगाकर मुझे जो आत्मिक तृप्ति मिली, वह शब्दों से परे है।”
हर्षा के इस पोस्ट ने उन तमाम भ्रमों को दूर कर दिया, जो कुछ लोगों के मन में थे और उन्हें साध्वी समझ बैठे थे। इस बारे में स्पष्ट करते हुए हर्षा ने कहा कि उन्होंने अध्यात्म की राह इसलिए चुनी क्योंकि वे जीवन में सच्चे सुकून की तलाश में थीं।
Harsha Richhariya के शब्द, उनका अनुभव, और उनकी श्रद्धा उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो जीवन में मानसिक शांति और संतोष की खोज में हैं।
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