क्या आपने कभी सोचा है कि एक गृहिणी अपनी छत पर केसर उगाकर लाखों कमा सकती है? यह कोई सपना नहीं, बल्कि ओडिशा के झारसुगुडा की सुजाता अग्रवाल की सच्ची कहानी है, जिन्होंने अपनी लगन और मेहनत से इसे हकीकत में बदल दिया।
सुजाता ने अपने बागवानी के शौक को एक सफल व्यवसाय में बदलने का फैसला किया। उन्होंने COVID-19 लॉकडाउन के दौरान हाइड्रोपोनिक्स की तकनीक के बारे में सीखा, जिसमें बिना मिट्टी के पानी का इस्तेमाल करके पौधे उगाए जाते हैं। उन्होंने 25,000 रुपये के शुरुआती निवेश से 100 वर्ग फुट के कमरे में एक छोटा सा सेटअप लगाया और विदेशी सब्जियां जैसे लेट्यूस, शिमला मिर्च और ब्रोकली उगाना शुरू किया। शुरुआत में उन्होंने अपने उत्पाद को स्थानीय कैफे और रेस्टोरेंट में बेचा, जिससे उन्हें साल में लगभग 1 लाख रुपये की कमाई हुई।
इस सफलता से उत्साहित होकर, सुजाता ने माइक्रोग्रीन्स की खेती शुरू की, जो उनके लिए एक बहुत ही लाभदायक व्यवसाय साबित हुआ। इससे उन्हें हर हफ्ते 15,000 से 20,000 रुपये की कमाई होने लगी।
लेकिन उनकी सबसे बड़ी चुनौती केसर उगाना था। केसर, जो आमतौर पर सिर्फ कश्मीर जैसे ठंडे इलाकों में उगता है, उसे ओडिशा के गर्म मौसम में उगाना लगभग असंभव लग रहा था। उनके परिवार ने भी उन्हें मना किया, लेकिन सुजाता ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने 11 लाख रुपये का बड़ा निवेश करके एक जलवायु-नियंत्रित कमरे में एरोपोनिक्स सिस्टम का इस्तेमाल करके केसर उगाया और इसमें सफल रहीं।

आज, सुजाता का व्यवसाय “ब्लूम इन हाइड्रो” न केवल केसर और माइक्रोग्रीन्स उगाता है, बल्कि केसर चाय और फेस पैक जैसे उप-उत्पाद भी बेचता है। उनका व्यवसाय अब 20 लोगों को रोजगार देता है और सालाना 20 लाख रुपये तक कमाता है। सुजाता अब दूसरों को भी हाइड्रोपोनिक्स और केसर की खेती का प्रशिक्षण देती हैं, और उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करती हैं।
सुजाता अग्रवाल की कहानी हमें सिखाती है कि अगर हम में कुछ करने की लगन हो, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। यह कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं।
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