Abhay singh iit bombay: कौन हैं महाकुंभ में आए IIT बाबा?

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Abhay singh iit bombay: महाकुंभ 2025 में इस बार श्रद्धालुओं के बीच एक खास चेहरा चर्चा का केंद्र बना हुआ है—’IIT बाबा’। आधुनिक शिक्षा और प्राचीन अध्यात्म के संगम का प्रतीक बने ये बाबा महाकुंभ में लोगों को न केवल धार्मिक ज्ञान दे रहे हैं, बल्कि युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा भी बन गए हैं।

कौन हैं इंजीनियर बाबा?

महाकुंभ 2025 में चर्चा का विषय बने ‘इंजीनियर बाबा’, जिनका असली नाम अभय सिंह (Abhay singh) है. इंजीनियर बाबा मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले हैं। उनके इंस्टाग्राम प्रोफाइल के अनुसार, उन्होंने प्रतिष्ठित IIT बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है।

अपने करियर के शुरुआती दौर में वे एक शानदार इंजीनियर थे, लेकिन बाद में उन्होंने सांसारिक जीवन छोड़कर आध्यात्म की राह पकड़ ली।

Abhay singh iit bombay: कौन हैं महाकुंभ में आए IIT बाबा?

लाखों के पैकेज को छोड़ चुनी अध्यात्म की राह

महाकुंभ 2025 में चर्चा में आए इंजीनियर बाबा उर्फ अभय सिंह (Abhay singh) ने अपनी जिंदगी का ऐसा फैसला लिया, जिसने उन्हें आम से खास बना दिया। अभय सिंह, जो IIT बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के टॉपर थे, ने पढ़ाई पूरी करने के बाद कैंपस प्लेसमेंट में हिस्सा लिया।

मिला था लाखों का पैकेज

मीडिया इंटरव्यू में उन्होंने खुलासा किया कि कैंपस इंटरव्यू में उनका सिलेक्शन हो गया था। उन्हें एक प्रतिष्ठित कंपनी से लाखों रुपये का पैकेज ऑफर हुआ। कुछ समय तक उन्होंने नौकरी भी की, लेकिन जल्द ही यह महसूस किया कि उनकी आत्मा कुछ और तलाश रही है।

क्यों छोड़ी नौकरी?

अभय ने बताया,
“मुझे पैसे और सफलता तो मिल रही थी, लेकिन सुकून नहीं। तभी मैंने फैसला किया कि जीवन का असली उद्देश्य केवल भौतिक सुखों तक सीमित नहीं है।”

इंजीनियरिंग छोड़ ट्रैवल फोटोग्राफी का सफर

अभय सिंह, जिन्हें आज लोग ‘इंजीनियर बाबा’ के नाम से जानते हैं, ने अपने करियर की शुरुआत एक एयरोस्पेस इंजीनियर के रूप में की थी। लेकिन उनका दिल हमेशा फोटोग्राफी के लिए धड़कता था।

स्कूल के दिनों से ही उन्हें ट्रैवल फोटोग्राफी का शौक था। एक दिन उन्होंने अपने शौक को जुनून बनाने का फैसला किया और इंजीनियरिंग छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने ट्रैवल फोटोग्राफी का कोर्स किया।

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फोटोग्राफी से बदल गई फिलॉसफी

फोटोग्राफी के दौरान उन्होंने जिंदगी को एक नए नजरिए से देखना शुरू किया। इस सफर ने उन्हें जीवन के गहरे सवालों से जोड़ा और उनकी सोच पूरी तरह बदल दी। कुछ समय के लिए उन्होंने अपना एक कोचिंग सेंटर भी चलाया, जहां वे फिजिक्स पढ़ाते थे। लेकिन उनका मन वहां नहीं लगा।

इंजीनियरिंग से दर्शनशास्त्र तक

इंजीनियरिंग के दौरान ही Abhay singh का झुकाव दर्शनशास्त्र की ओर बढ़ने लगा था। उन्होंने अपने कोर्स के अलावा सुकरात, प्लेटो और नवउत्तरावाद जैसे दार्शनिकों की किताबें पढ़ीं। ये किताबें उन्हें जिंदगी के गहरे अर्थों तक ले गईं और आखिरकार उन्होंने आध्यात्म का मार्ग चुन लिया।

महादेव को समर्पित जीवन

आज इंजीनियर बाबा ने अपनी पूरी जिंदगी भगवान शिव को समर्पित कर दी है। उन्होंने कहा,
“मैं विज्ञान के जरिए आध्यात्म को समझने की कोशिश कर रहा हूं। शिव ही सत्य हैं और सत्य ही सुंदर है।”

Abhay singh iit bombay

आध्यात्मिक जीवन का आनंद

जब उनसे पूछा गया कि आध्यात्मिक जीवन कैसा लग रहा है, तो उनका जवाब था,
“यह मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा दौर है। जब आप सच्चे ज्ञान की तलाश में निकलते हैं, तो आखिरकार इसी रास्ते पर पहुंचते हैं।”

इंजीनियर बाबा की कहानी इस बात का सबूत है कि सच्चा जुनून और आत्म-खोज कभी बेकार नहीं जाती। वे आज उन लोगों के लिए प्रेरणा हैं, जो अपनी जिंदगी में गहराई और अर्थ की तलाश में हैं।

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